पेड़ की पत्तियां हरी ही क्यों होती हैं?

पेड़ की पत्तियां हरा ही क्यों होती हैं क्योंकि वे फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया में शामिल होती हैं। फोटोसिंथेसिस एक प्रक्रिया है जिसमें पेड़ की पत्तियां सूरज की रोशनी का उपयोग करके पानी और कार्बन डाइऑक्साइड से ग्लूकोज बनाती हैं। इस प्रक्रिया में क्लोरोफिल नामक एक हरा रंग का पदार्थ शामिल होता है, जिसके कारण पेड़ की पत्तियां हरा ही दिखती हैं।

हरे पेड़ दो प्रकार के होते हैं: झड़नेवाला और सदाबहार ।

झड़नेवाला पेड़ अपनी पत्तियां साल में एक बार गिरा देते हैं। ये पेड़ अगले साल फिर नए पत्ते बढ़ाते हैं। उनमें से कुछ पेड़ अपनी पत्तियां साल में गिरा देते हैं जब वे ठंडा होने लगे, जैसे नीम और बर आदि। दूसरे कुछ पेड़ अपनी पत्तियां साल में गिरा देते हैं जब वे गर्म होने लगे, जैसे चीनी बारीकी आदि।

सदाबहार पेड़ अपनी पत्तियां साल भर रखते हैं। उनमें से कुछ पेड़ अपनी पत्तियां साल भर हरा ही रहती हैं, जैसे नींबू आदि। दूसरे कुछ पेड़ अपनी पत्तियां साल भर सफेद रंग में रखते हैं, जैसे शिंघासन आदि।

झड़नेवाला और सदाबहार पेड़ों की प्रजाति, उनके वातावरण और उनकी आवश्यकताओं पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार के हों। उभय प्रकार के पेड़ हमारे पर्यावरण को बहुत अहम तरीके से सहायक हैं।

वृक्ष की कहानी

निर्जन वन में पक्षी के मुँह से छूटा बीज जो बहुत दिनों तक बंजर भूमि में पड़ा रहा। धीरे-धीरे हवा, नमी ऊष्मा मिली तो वह अंकुरित हुआ। छोटी-छोटी कोमल-कोमल दो पंखुड़ियाँ उग आई उस पर, जो पौधा कहलाया। वो पौधा और कोई नहीं मेरे ही बचपन का नाम है। मेरी माँ धरती है और मेरा पिता आसमान है।

जब से मैंने जन्म लिया मेरी माँ और पिता ने मुझे बड़े लाड़ और प्यार से पाला कभी कोई कमी नहीं होने दी। धीरे-धीरे मैं बड़ा हुआ। मुझे अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हुआ। आते-जाते राहगीरों को छाया करने लगा। पक्षियों को अपनी टहनियों पर घोंसले बनाने के लिये आमंत्रित किया। वर्षा में भी सहायक हुआ। भू-क्षरण रोका, प्राणियों को ऑक्सीजन प्रदान की। वायुमंडल में फैली दूषित वायु का भक्षण किया।

वृक्ष की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमारा जीवन भी वृक्ष की तरह होना चाहिए। हमें अपने आसपास के वातावरण को सुंदर बनाने के लिए काम करना चाहिए। हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

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